CBSE 2026 से 10वीं बोर्ड परीक्षा साल में दो बार करवाएगा, ड्राफ्ट नियम मंजूर

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने 2026 से कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षा को साल में दो बार आयोजित करने के लिए ड्राफ्ट नियमों को मंजूरी दे दी है। इस नए नियम के तहत, परीक्षा दो चरणों में होगी—पहला चरण फरवरी-मार्च में और दूसरा चरण मई में आयोजित किया जाएगा। खास बात यह है कि दोनों परीक्षाएं पूरे सिलेबस पर आधारित होंगी।
ड्राफ्ट में क्या है खास?
- दोनों चरणों की परीक्षाएं पूरे सिलेबस पर आधारित होंगी।
- पहला चरण 17 फरवरी से 6 मार्च 2026 तक आयोजित किया जाएगा।
- दूसरा चरण 5 मई से 20 मई 2026 तक चलेगा।
- दोनों चरणों के लिए अलग-अलग परिणाम घोषित किए जाएंगे।
- व्यावहारिक परीक्षा (प्रैक्टिकल) या आंतरिक मूल्यांकन (इंटरनल असेसमेंट) केवल एक बार किया जाएगा।
- दोनों परीक्षाओं के लिए छात्रों को एक ही परीक्षा केंद्र आवंटित किया जाएगा।
- परीक्षा शुल्क में वृद्धि की जाएगी।
दो बार परीक्षा कराने का उद्देश्य
सीबीएसई के इस बदलाव का उद्देश्य छात्रों को बेहतर प्रदर्शन का एक और अवसर देना है। अगर कोई छात्र पहले चरण में संतोषजनक अंक नहीं ला पाता, तो वह दूसरे चरण में प्रदर्शन सुधार सकता है। इस बदलाव से छात्रों पर परीक्षा का दबाव भी कम होगा और उन्हें अपनी तैयारी के लिए अधिक समय मिलेगा।
कैसे होगा परीक्षा का आयोजन?
सीबीएसई अधिकारियों के अनुसार, पहले और दूसरे चरण की परीक्षाएं पूरे पाठ्यक्रम पर आधारित होंगी और दोनों चरणों के लिए एक ही परीक्षा केंद्र दिया जाएगा। छात्रों को दोनों चरणों के लिए अलग-अलग आवेदन करना होगा और प्रत्येक परीक्षा का शुल्क देना होगा।
परीक्षा शुल्क में वृद्धि
नए नियमों के तहत परीक्षा शुल्क में बढ़ोतरी की जाएगी। छात्रों को दोनों परीक्षाओं के लिए आवेदन के समय शुल्क भरना होगा। हालांकि, सीबीएसई ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि शुल्क में कितनी वृद्धि होगी।
फीडबैक के लिए अनुरोध
सीबीएसई ने यह भी कहा है कि इन नए नियमों को लागू करने से पहले हितधारकों (अभिभावकों, शिक्षकों और छात्रों) से सुझाव मांगे गए हैं। यह ड्राफ्ट 9 मार्च 2025 तक सार्वजनिक चर्चा के लिए रखा जाएगा। इसके बाद अंतिम नीति को मंजूरी दी जाएगी।
पूरक परीक्षा के रूप में होगी परीक्षा
सीबीएसई ने यह स्पष्ट किया है कि ये दोनों परीक्षाएं पूरक परीक्षा (Supplementary Exam) के रूप में भी आयोजित की जाएंगी। यानी, यदि कोई छात्र पहले चरण की परीक्षा में अच्छे अंक नहीं ला पाता है, तो वह दूसरे चरण में अपनी स्कोर सुधार सकता है। हालांकि, किसी विशेष परिस्थिति में अलग से परीक्षा आयोजित नहीं की जाएगी।
छात्रों को होगा फायदा?
- इस बदलाव से छात्रों को परीक्षा की तैयारी के लिए दो मौके मिलेंगे।
- अगर कोई छात्र पहले चरण में असफल होता है तो दूसरे चरण में अपनी स्थिति सुधार सकता है।
- परीक्षा का तनाव कम होगा, जिससे मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
- छात्र अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी एक परीक्षा में बैठ सकते हैं।
सीबीएसई का बयान
सीबीएसई अधिकारियों के मुताबिक, “हमारा उद्देश्य छात्रों को परीक्षा के तनाव से बचाना और उन्हें बेहतर प्रदर्शन का मौका देना है। इस नई नीति से छात्रों को परीक्षा के लिए अधिक लचीलापन मिलेगा।”
सीबीएसई के इस नए नियम से छात्रों को साल में दो बार परीक्षा देने का अवसर मिलेगा, जिससे उनकी पढ़ाई में लचीलापन आएगा। हालांकि, परीक्षा शुल्क बढ़ने और पूरे सिलेबस के आधार पर परीक्षा होने से यह बदलाव छात्रों के लिए चुनौतीपूर्ण भी हो सकता है। अब देखना होगा कि इस पर अभिभावक, शिक्षक और छात्र क्या प्रतिक्रिया देते हैं और क्या बदलाव किए जाते हैं।